जिला अस्पताल के गलियारों में गूंजता राग भैरवी
मामला जांच करने आये इन्दोरी दल का
साहब आये और ले के चले गए----
आलीराजपुर----राकेश तंवर
जिला अस्पताल के गलियारों में पिछले कुछ दिनों से एक राग भैरवी की तरह उभरता हुआ शब्दों का जलजला सुना सुनाया जा रहा है।साहब आए और लेकर चले गए।जिला चिकित्सालय से सम्बंधित 9 अधिकारी, कर्मचारियों को विभिन्न विसंगतियों को लेकर चेतावनी पत्र जारी किया था।
अमुमन साहब आए और लेकर चले गए।
इसके अलग-अलग लोगों द्वारा अलग-अलग अर्थ निकाले जा रहे हैं, कि आखिर कौन आया और क्या लेकर चले गए।
शब्दों की सीमाओं की सार्थकता को रेखांकित करता यह जलजला अमूमन दबे छुपे रूप में विभिन्न तरह के इशारों में संकेत दे रहा है। लेकिन इसे हम किस रूप में देखें यह आपके दृष्टांत एवं सोच पर निर्भर कर सकता है।
क्या था मामला---दरअसल पिछले दिनों आयुक्त लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मध्य प्रदेश तरूण राठी ने पत्र क्रमांक 829/--दिनांक 26 नवंबर को प्रकाश श्याम शिरोड़कर मलाड मुम्बई, सीएमएचओ देवेंद्र सुनहरे, जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉक्टर प्रकाश धोके,डॉ सचिन पाटीदार,डॉ प्रवीण वास्केल, शुभम सोलंकी,मेरिनिशा मसीह,वजेसिंह भिंडे को जिला अस्पताल में विभिन्न विसंगतियों को लेकर चेतावनी पत्र देते हुए उन्हें व्यक्तिगत इंदौर जाकर उत्तर देने के निर्देश दिए गए थे। चेतावनी पत्र मिलने के बाद सभी अपने-अपने स्तर पर लिखित में पत्र का जवाब देने इंदौर कार्यालय पहुंचे और जवाब भी दिया,लेकिन इंदौर गए साथियो में से एक ने ज्यादा चतुराई दिखाते हुए इंदौर के एक बड़े साहब से मिल लिए।फिर क्या था। उन्होंने जिला अस्पताल आकर फिर से निरीक्षण करने का फरमान दे दिया ।
सुनी सुनाई----
मिले जवाब से असंतुष्ट होने कस चलते एक जांच दल 3 दिसंबर को जिला अस्पताल में पहुँचा और विभिन्न इकाईयो का निरीक्षण किया ।
मिली जानकारी अनुसार इसके बाद चिंता में दिखे जिला अस्पताल प्रभारी डॉक्टर प्रकाश धोके ने चेतावनी पत्र प्राप्त कर्ताओ के साथ एक सामूहिक बैठक कर साहब को देने की योजना तैयार की । फिर जिला अस्पताल के एक कक्ष में साहब ने आरोप प्रत्यारोप के संदर्भ में चर्चा करते हुए सभी से अपना अपना मत देने को कहा।मिले, जवाब से पूरी तरह संतुष्ट होकर इंदौर से आया जांच दल वापस रवाना हो गया।
उसके बाद शब्दों का जलजला ऐसा चला कि साहब आए और लेकर चले गए।इसको लेकर खूब जिला अस्पताल में दबी जुबान चर्चाओं का दौर चलता रहा।
कोई इसे अपना मत तो कोई अपना पक्ष तो कोई रिकॉर्ड लेने देने की बात कर रहा है, लेकिन शाब्दिकता को दर्शाता जिला अस्पताल का यह निरीक्षण गाहे बजाहे लगातार होती विसंगतियों को ढकने के प्रयासो के रूप में देखा जा रहा है।