शिक्षा विभाग के जुगाड़ू का कारनामा
अधिकारी के पत्र का हवाला दे न्यायालय को गुमराह कर स्टे लाया
आलीराजपुर~~शिक्षा विभाग में जुगाड़ से पदस्थ एक कर्मचारी ने न केवल अधिकारी के पत्र को आधार बनाकर स्थानांतरण आदेश के विरुद्ध एक शिक्षक होने और छात्रों की पढ़ाई प्रभावित होने के झूठे तर्कों से न्यायालय को गुमराह करते हुए आगामी आदेश तक रोक का ऑर्डर ले लिया। जबकि याचिका करता शिक्षा विभाग में पिछले लगभग आठ सालों से एक अधिकारी के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। ऐसे में अधिकारी द्वारा झूठ पत्र देकर माननीय न्यायालय को गुमराह करते हुए स्टे लाना चर्चा का विषय बन रहा है। अब इस प्रकरण में देखना दिलचस्प होगा कि इस जुगाड़ू कर्मचारियों के खिलाफ कोर्ट और प्रशासन क्या कार्रवाई करता है।
क्या हे मामला~~~दरअसल प्रदेश सरकार की स्थानांतरण नीति के अंतर्गत सहायक आयुक्त, जनजाति कार्य एवं अनुसूचित जाति विकास ने प्रभारी मंत्री की सहमति से जिले में शिक्षकों के स्थानांतरण की सूची के पत्र क्रमांक~~3490/ 3491 दिनांक 16 जून को जारी की थी।निकाली सूची अनुसार जिला शिक्षा कार्यालय में सहायक जिला परियोजना समन्वयक के पद पर पिछले चार,पांच वर्षो से पदस्थ रामानुज शर्मा का माध्यमिक हाई स्कूल बोरी विकासखंड उदयगढ़ पर स्थानांतरित किया गया था।
सूत्रो से मिली जानकारी अनुसार अपने स्थानांतरण को निरस्त करने के लिए स्थानीय स्तर पर शिक्षक रामानुज शर्मा द्वारा प्रयास किए गए। सफल नहीं होने पर अधिकारी रामानुज शर्मा ने कोर्ट का रुख किया। कोर्ट में दायर किए गए वाद में शिक्षक रामानुज शर्मा ने अपने उच्च अधिकारी जिला शिक्षा अधिकारी के एक पत्र का हवाला देते हुए बताया कि स्थानांतरण होने की स्थिति में छात्रों की शिक्षा प्रवाहित होने के तर्क दिए गए। इस तर्क के आधार पर कोर्ट ने स्थानांतरण पर अस्थाई रूप से रोक लगा दी।
कोर्ट में अपील दायर करता अधिकारी रामानुज शर्मा पिछले कई सालों से शिक्षण कार्यों से दूर रहकर एक अधिकारी के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। जिला शिक्षा अधिकारी और अपील करता रामानुज शर्मा ने न्यायालय को गुमराह करते हुए छात्रों की शिक्षा प्रभावित होने का झूठा वाद प्रस्तुत किया। तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी अर्जुन सिंह सोलंकी सेवा निवृत हो चुके हैं। ऐसे में न्यायालय में दिया गया पत्र वास्तव में तत्कालीन अधिकारी ने दिया या फिर उनके पद नाम से फर्जी पत्र लिखकर कोर्ट में दिया गया इसकी जांच भी की जाना चाहिए।
बहरहाल एक जिम्मेदार अधिकारी रामानुज शर्मा द्वारा झूठे वाद से कोर्ट को गुमराह करने पर जिला प्रशासन क्या कार्रवाई करता है यह देखना दिलचस्प होगा।
जिम्मेदारों ने आंखे की बंद~~~अधिकारी रामानुज शर्मा द्वारा न्यायालय से स्टे मिलने के बाद उसकी प्रतिलिपि सहायक आयुक्त बीईओ सहित अन्य जिम्मेदारों को दी होगी। जिसमें साफ़ तौर पर लिखा छात्रों की पढ़ाई प्रभावित होने का कारण दर्शाया हुआ है। किसी भी जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा पत्र की अनदेखी करना जिम्मेदारों की कार्यप्रणाली को दर्शाता है।

