चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी बना बाबू---



मामला जिला अस्पताल का,
चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी बना बाबू,बढे वेतनमान का कुछ को किया भुगतान कुछ का रोका 
साफ्टवेयर का हवाला,रुबाब में रँगे बाबु 
आलीराजपुर-–-- जब एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी जिला अस्पताल का लिपिक यानी बाबू बन जाए तो फिर हम क्या कर सकते हैं।
अघोषित बने बाबू का खोप डॉक्टर कर्मचारियों पर हावी होने के चलते हा में हा मिलाना सभी की मजबूरियां बन गई है।तभी तो बाबू कहते है में जैसा बोलू वैसा करो तो काम जल्द होगा।
 यह हाल जिला अस्पताल के गलियारों से उभरते स्वर बाबू कक्ष के हैं। जिसमें चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी  से लिपिक बने बाबू ने जिला अस्पताल के कुछ कर्मचारियों के बढ़े हुए वेतनमान की राशि गुणा भाग करते हुए निकाल दी, लेकिन कुछ कर्मचारियों की बढ़े हुए वेतनमान की राशि रोक रखी है। परेशान कर्मचारी बेचारे मिन्नते  कर रहे हैं लेकिन  फिर भी बाबू बने कर्मचारी का मन पसीज नही रहा है।
 हालांकि जिम्मेदार और बाबू साफ्टवेयर का हवाला दे रहे है कि ये सब उसके चलते परेशानी का कारण बन रहा है। ऐसे में डरे कर्मचारी दबी जुबान कह रहे है  ये तो गड़बड़झाला रे।
क्या है मामला----- जिला अस्पताल में कार्यरत कर्मचारियों के बड़े वेतनमान की विभिन्न श्रेणियां की अलग-अलग राशि स्वीकृत होकर आ गई है लेकिन  बाबू बने जिला अस्पताल में कार्यरत ऋषि शर्मा के रवैया से कर्मचारी परेशान हो रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिला अस्पताल के मुखिया डॉक्टर प्रकाश धोखे के चहैते ऋषि शर्मा ने कुछ कर्मचारियों की बड़े हुए वेतनमान की राशि निकाल दी लेकिन कुछ कर्मचारी बचे हैं, जिनकी राशि निकालने में अघोषित बाबू बने ऋषि शर्मा दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं या बहाने करते हुए उन्हें अलग-अलग कारण बता रहे हैं।
कैसे बने बाबू----  मूलतः जिला अस्पताल के कर्मचारी ऋषि शर्मा की पद स्थापना जिला अस्पताल में एक  चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के रूप में है, लेकिन जिला अस्पताल के मुखिया डॉक्टर प्रकाश धोके के चहेते होने के चलते उन्हें जिला अस्पताल के लिपिक का दायित्व पिछले लगभग 10 सालो से दिया गया है।  अब इन्हें यह दायित्व क्यों मिला, कैसे मिला इसका जवाब तो जिला अस्पताल के मुखिया डॉक्टर प्रकाश धोके  ही दे सकते हैं।
रुबाब में रंगे बाबू---- सालों से अघोषित रूप से लिपिक का दायित्व निभा रहे हैं ऋषि शर्मा का  हुई है। एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी जब लिपिक के पद पर बैठकर काम करना आरंभ कर देता है तो फिर वह अपना मूल स्वभाव भूल बैठता है।इसी के चलते वह उनसे कई ज्यादा शिक्षित अधिकारी, कर्मचारियों को भी बोना समझते हुए उनसे लुखा व्यवहार करता है,जिससे अधिकारी कर्मचारियों में नाराजगी पनपती है। सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार जिला अस्पताल में सालों से जमें डॉक्टर प्रकाश धोके का खोप इतना ज्यादा है कि अधिकारी,कर्मचारी चाहते हुए भी अपनी पीड़ा, अपनी परेशानी किसी के सामने बात नहीं सकते हैं।
बहरहाल अघोषित बाबू बनाये गए ऋषी  शर्मा के बाबू बनने पर सवाल उठाए तो डॉ धोके ने तुरंत कह दिया वैसे ही कलेक्टर कार्यालय में भी एक कर्मचारी बाबू बना बैठा है।
 
क्या बोले जिम्मेदार----ऐसा कुछ नही है।बढ़े हुए वेतन का भुगतान किया जा रहा है।कभी कभी सॉफ्टवेयर की परेशानी से एज़ तरह की दिक्कत आ रही होगी।
डॉ प्रकाश धोके जिला अस्पताल प्रभारी।

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