शब्दों की सरिताओं का नाथद्वारा में हुआ सम्मान



अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था ने नाथद्वारा में जिले की
सृजन की चितेरी माधुरी,संध्या और आरती का किया सम्मान


आलीराजपुर~~~शब्दों की सरिता को वाक्यों में गूथ,आम लोगों,प्रकृति  की काल्पनिक किदवंती को सृजित कर उन्हें परिभाषित करते हुए काव्य की रचना करना ही शब्दिता का वो प्रारंभिक स्वरूप होता हे जिन्हें काव्यपाठ के रूप में जाना जाता हे।


इन्हीं स्वरूपों में पारंगत  जिले की 3 सरिताओं को उनकी विशिष्टता के चलते अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था नई दिल्ली द्वारा राजस्थान के नाथद्वारा में आयोजित कार्यक्रम में माधुरी सोनी,संध्या पांडे और आरती सोलंकी को  साहित्य सृजन नारी सम्मान से मेवाड़ महाराजा,विधायक विश्वराज सिंह एवं नाथद्वारा मंदिर प्रमुख आचार्य विद विशाल बाबा,राकेश महाराज,समारोह अध्यक्ष डॉ कृष्ण कुमार द्वारा ट्रॉफी,प्रशस्ति पत्र,उपारणा,साहित्य पुस्तक दे सम्मानित किया गया।
उल्लेखनीय हे कि ये तीनों शब्द सरिता की रचनाकार जिले के असाडा राजपूत समाज की शब्दिता साहित्य कला संस्था की  प्रतिभाशाली सदस्य होकर अपने शब्दों से पाठों को गुंजायमान करती रही हे। 
एक गृहणी,दो शिक्षाविद्   के धर्म और कर्म  के संतुलन को बनाते हुए अपनी कई  नवीन रचनाओं से श्रोताओं को  आनंदित करते रहे हे।
कार्यक्रम में संस्था प्रमुख वी पी सिंह, उपाध्यक्ष केतन मोदी,कविवर ओमपाल सिंह निडर,सेवानिवृत सेना के अधिकारी सिंह कानपुर,कवयित्री डॉ ज्योत्सना शर्मा सहित कई लोग उपस्थित थे।
कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय कवि गिरीश पालीवाल विद्रोही ने किया।

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