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जनजातीय छात्र संसद में
जिले की बेटी दिल्ली में गरजी
धर्मांतरण पर रोक के साथ जनजाति संस्कृति का प्रसार,प्रचार हो~~मोनिका सोनू
आलीराजपुर~~~शासन स्तर पर धर्मांतरण रोकने का कठोर नियम बनने के साथ ही जनजाति संस्कृति का अधिक से अधिक प्रचार प्रसार किया जाना चाहिए। 
उक्त विचार अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद माला प्रांत की कार्यकारिणी सदस्य मोनिका सोनू डाबर ने 9 मार्च को नई दिल्ली में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की जनजातीय छात्र संसद में गरजते हुए कहे। 
धारा प्रवाह बोलते हुए मोनिका ने कहा कि धर्मांतरण पर जल्द से जल्द रोकने का कठोर कानून बनना चाहिए। वर्तमान में वर्तमान में समाज के गरीब सबके के लोग झूठ औरगुमराह  होते हुए भ्रमित किया जा रहे हैं ऐसे में धर्मांतरण पर रोक कानून जल्द से जल्द लाया जाना चाहिए। इसके साथ ही जनजातीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं का प्रचार प्रसार किया जाना चाहिए ताकि जनजाति की संस्कृति लोगों के सामने आए और वह उसे समझने का प्रयास करें। 
उल्लेखनीय है की जनजाति छात्र संसद में 300 से अधिक छात्रों ने संसद में हिस्सा लिया और देशभर की 124 से अधिक जनजातियों का इसमें भागीदारी रही। छात्र संसद में जनजाति छात्र समुदाय की शिक्षा एवं रोजगार की स्थिति, स्वाभिमान और देश की विकास में जनजाति समाज की भूमिका, लोक कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में युवाओं की भूमिका सहित अन्य कई दूसरे विषय पर विभिन्न सत्र आयोजित हुए।
परिषद के छात्र नेता रितिक  चौहान ने जानकारी देते हुए बताया कि दिल्ली में हुई जनजातीय छात्र संसद सम्मेलन में केंद्रीय जनजाति कार्य राज्य मंत्री दुर्गादास ऊईके, राष्ट्रीय महामंत्री डॉ वीरेंद्र सोलंकी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ आशुतोष  मंडावी  के साथ कई गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।उक्त सम्मेलन में विद्यार्थी परिषद मालवा प्रांत कार्यकारिणी सदस्य मोनिका सोनू डाबर और जिला संयोजक मदन डावर ने भाग लिया था।

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