मुख्यमंत्री द्वारा वर्चुअली लोकार्पण हुए तीरंदाजी खेल स्टेडियम का हाल बुरा
जिम्मेदारों की लापरवाही से तीरंदाजों के सपने कागजो में सिमटे
लोकार्पण के बाद से ही कोमा में
आलीराजपुर--राकेश तंवर
मुख्यमंत्री द्वारा जिले के जोबट तहसील में विश्व स्तरीय एवं प्रदेश का दूसरा आधुनिक तीरंदाजी स्टेडियम जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते उपेक्षित हो रहा है। ना तो वहाँ पर तीरंदाजी से सम्बंधित गतिविधियों हो रही है, और ना ही प्रतिभावान तीरंदाज को किसी तरह का प्रशिक्षण मिल रहा है। मतलब 19 जनवरी को हुए लोकार्पण के कुछ दिनों बाद से ही
विश्व स्तरीय तीरंदाजी सेंटर कोमा में है। शासन ने यदि एमपी के दूसरे बड़े तीरंदाजी सेंटर का तगमा दिया तो फिर कैसे प्रशिक्षक की नियुक्ति नही हुई।
लोकार्पण पर उमड़ी भीड़ और उनके सामने मंच से अतिथियों द्वारा किये दावे हकीकत में नही बदल सके।फलस्वरूप जिले के जन्मजात प्रतिभाशाली तीरंदाजो को आधुनिक तकनीक का प्रशिक्षण नही मिल पा रहा है, जिसके चलते ऐसा प्रतीत होता है कि जिले के जन्मजात प्रतिभाशाली तीरंदाजों के सपने कागजो में सिमट रहे है।
सीएम एवं मंत्री की सोच को धक्का-- दरअसल इस बड़े आधुनिक तीरंदाजी केंद्र की मुख्यमंत्री ने जहां वर्चुअल लोकार्पण किया था वही प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री नागर सिंह चौहान ने क्षेत्र के प्रतिभाओ को तरासने का एक महत्वपूर्ण केंद्र करार दिया था।ऐसे में उनकी खेलो के प्रति शासन की योजनाओं का इस तरह पतीला लग रहा है उसकी जानकारी उन्हें नही होगी।
दरअसल सरकार युवाओं को खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए लगातार योजनाएँ तो बना रही है, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है।
क्या है मामला--- जिले के जोबट तहसील के ग्राम खारी में खेल एंव युवक कल्याण विभाग द्वारा 1करोड़ 37 लाख की लागत से बनाया गया तीरंदाजी प्रशिक्षण केंद्र जिम्मेदारों की लापरवाही का शिकार हो रहा है। जिस मैदान में कभी तीरंदाजी के निशाने साधने का सपना देखा गया था उस सेंटर पर तीरंदाजी के उपकरण उपयोग नही होने से खराब होने की स्थिति बन सकती है।
सरकार तो प्रतिभा को तरासने लाखो करोड़ो का फंड देती है, लेकिन व्यवस्थाओ में विसंगतियों के चलते ये सरकारी प्रयासों का जिम्मेदार पतीला लगाते है। जबकि जिला खेल अधिकारी का कहना है कि वहाँ पर दूसरी खेल गतिविधियां हो रही है।तीरंदाजी के प्रशिक्षक नही होने से ये नही हो पा रही है।ऐसे ने बड़ा सवाल है कि प्रदेश के दूसरे बड़े आधुनिक तीरंदाजी सेंटर में तीरंदाजी प्रशिक्षण नही मिले और दूसरी खेल गतिविधियां हो रही है तो फिर शासन द्वारा इतनी बड़े बजट का क्या औचित्य।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि शुरूआती दिनों में कुछ बच्चों को प्रशिक्षण दिया गया था, लेकिन बाद में विभाग की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया गया। अब युवाओं में निराशा है। वे कहते हैं — “अगर विभाग थोड़ी देखभाल करे तो यहां से राज्य व राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी तैयार हो सकते हैं।”
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि खारी के तीरंदाजी सेंटर को फिर से शुरू किया जाए और स्थायी कोच की नियुक्ति की जाए, ताकि गांव के बच्चों को खेलों की मुख्यधारा से जोड़ा जा सके।
अब सवाल यह है —
क्या कल्याण विभाग “युवा खेलेगा” के सपने को फिर से साकार करेगा या यह तीरंदाजी सेंटर भी सरकारी योजनाओं की फाइलों में हमेशा के लिए गुम हो जाएगा?
ये बोले जिम्मेदार--तीरंदाजी सेंटर में खेल गतिविधियां चल रही है।एकलव्य के बच्चे आकर प्रतिदिन दौड़ और अन्य खेल खेल रहे है। तीरंदाजी के प्रशिक्षक के लिए पत्र लिखा है।
सन्तरा निनामा,जिला खेल अधिकारी आलीराजपर।

