दर दर की ठोकर खाने मजबूर~~

जिम्मेदारों ने ताक में रखा श्रम न्यायालय और उच्च न्यायालय का आदेश
दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी नौकरी के लिए दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर


आलीराजपुर~~ राकेश तंवर
जिम्मेदारो की मनमर्जी, और  लापरवाही के चलते श्रम  न्यायालय एवं उच्च न्यायालय के आदेश को ताक में रखने के कारण एक गरीब दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो रहा है।परेशान दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी ने शासन के सभी जिम्मेदारों को अपनी पीड़ा से अवगत कराते हुए न्यायालय के बाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और वहां से पीड़ित के लिय मिले निर्देशों को हवा में उड़ाया जा रहा हे।


क्या हे मामला~~लोक
 स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग फ्लोरोसिस नियंत्रण परियोजना खंड आलीराजपुर में 2003 से 2016 तक तत्कालीन कार्यपालन यंत्री के मौखिक आदेश के बाद लगभग 13 साल तक अजय पिता उपेंद्रनाथ पांडे निवासी अमझेरा जिला धार ने संभाग के दूरस्थ क्षेत्र   बेहड़वा में इलेक्ट्रीशियन एवं पंप ऑपरेटर के रूप में अपनी सेवाएं दी थी। इसके बाद 1 सितंबर 16 को लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय विभाग के सरदारपुर  संभाग में इलेक्ट्रीशियन के रूप में भेजा।
पीड़ित कर्मचारी अजय पांडे ने जानकारी देते हुए बताया कि 1 नवंबर 16 से 1 जुलाई 17 तक सरदारपुर  संभाग में अपनी सेवाएं दी उसके बाद भी मुझे वेतन का भुगतान नहीं किया गया। जिम्मेदार अधिकारी को वेतन  भुगतान का निवेदन करता रहा लेकिन यह मुझे टालते रहे।एक समय बाद कार्य करने से हटा दिया।
परेशान होकर श्रम न्यायालय धार में प्रकरण क्रमांक 74/ 18 याचिका दायर की गई। पीड़ित के तथ्यों के आधार पर श्रम न्यायालय ने विभाग को निर्देश देते हुए कहा कि एक माह के अंदर प्रार्थी को सेवा बहाल करते हुए सेवा प्रत्यक्षीकरण अवधि का 50% वेतन का भुगतान करें। पीड़ित को परेशान करने की दृष्टि से लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय विभाग की ओर से उच्च न्यायालय इंदौर में प्रकरण क्रमांक 626/2024 के माध्यम से श्रम न्यायालय में आदेश के विरुद्ध याचिका दाखिल की गई। 
पीड़ित अजय पांडे ने बताया कि उक्त प्रकरण में उच्च न्यायालय में भी फरियादी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए निर्देश दिया गया है की याचिकाकर्ता के पूर्व आदेश के मध्य नजर औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 की धारा 17 बी के प्रावधान का अनुपालन किया जाए। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद विभाग द्वारा 21 अगस्त 23 को जॉइनिंग दी गई जो विभाग ने स्वीकार की, लेकिन उसके बाद से अब तक पीड़ित अजय पांडे अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। विभाग द्वारा इन्हें ना तो कार्य पर रखा जा रहा है और नहीं किसी प्रकार का भुगतान किया गया है। इससे स्पष्ट हो जाता है कि लोग स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग सरदारपुर संभाग के द्वारा श्रम न्यायालय धार एवं उच्च न्यायालय इंदौर के आदेशों को ताक में रखते हुए पीड़ित अजय पांडे को दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर किया जा रहा है।

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