कौन बचाए रे तिकड़मी भैया को



चर्चा चौराहे की~~
झूठे वाद देकर स्थानांतरण पर हाई कोर्ट से लिया स्टे*
अपने प्रिय पात्र को बचाने में जुटा प्रशासन  
आलीराजपुर:- 
आदिवासी बहुल जिले में प्रशासन और सरकारी कर्मचारी आपस में मिलजुलकर ही सरकारी नियमों व कानूनों की परवाह किए बगैर ही अपनी मनमर्जी से ही प्रशासन को चलायमान बनाए हुए।जिले में शासन का डर खत्म सा हो गया है,जिसके चलते जिले में आए दिन विभिन्न विभागों के अनियमितता और लापरवाही के किस्से चर्चाओं का केंद्र बिंदु बने होते हैं ।


ऐसा ही एक मामला इन दिनों जिले के शिक्षा विभाग / जनजाति कार्य एवं अजजा विकास कार्यालय की सुर्खियों में छाया हुआ है। 
सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार उच्च न्यायालय में झूठी व असत्य जानकारी देने से भी जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में  प्रभार पर कार्यरत एक जिम्मेदार  बाज नहीं आ रहे हैं।
क्या हे मामला~~ 
प्राप्त जानकारी के अनुसार बीते जून माह में जिले के शिक्षक/शिक्षिकाओं के स्थानांतरण आदेश जिले की प्रभारी मंत्री संपतिया उईके के आदेश पर किए गए थे। कार्यालय कलेक्टर जनजातिय कार्य एवं अनुसूचित जाति विकास जिला आलीराजपुर की स्थापना शाखा के आदेश दिनांक 16 जून 2025 स्थापना शाखा के पत्र क्रमांक 3490/3491 के तहत  माध्यमिक शिक्षक रामानुजशरण शर्मा विकासखंड सोंडवा का स्थानांतरण शासकीय  बालक उमावि बोरी विकासखंड उदयगढ़ जिला आलीराजपुर में किया गया। साथ ही रामानुजशरण शर्मा की धर्म पत्नि शोभा सस्तिया शर्मा माध्यमिक शिक्षक विकासखंड सोंडवा का स्थानांतरण भी शासकीय  बालक उमावि बोरी विकासखंड उदयगढ़ जिला आलीराजपुर में कर दिया गया। जिसके खिलाफ इन्हौंने हाईकोर्ट में रीवीजन क्रमांक 28026 आफ 2025 दायर कर स्थगन लिया। उच्च न्यायालय में चले प्रकरण के दौरान उच्च न्यायालय ने दिनांक 17 जुलाई 2025 को पारित आदेश में बताया गया कि याचिका कर्ता की ओर से पेश हुए वकील ने  वादी की ओर से दिए गए जिला शिक्षा अधिकारी के पत्र का हवाला देते हुए  अदालत द्वारा पारित आदेश के अनुसरण में तबादले के खिलाफ याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व 8 जुलाई 2025 के आदेश द्वारा खारिज कर दिया गया है।
 न्यायालय ने  जिला शिक्षा अधिकारी, आलीराजपुर द्वारा जारी एक प्रमाण पत्र पर भरोसा किया है, जिसमें कहा गया है कि यदि याचिकाकर्ता का तबादला किया जाता है तो उक्त विषय में कोई शिक्षक नहीं होगा और ऐसे में छात्रों की पढ़ाई प्रतिकूल रुप से प्रभावित होगी।
उल्लेखनीय है कि तिकड़मी शिक्षक  रामानुज शर्मा ने न्यायालय में अपने समर्थन में दिए पत्र का हवाला छात्रों की पढ़ाई प्रभावित होने को लेकर  दिया गया था। जबकि शिक्षक रामानुज शर्मा पिछले 7 वर्षों से शिक्षण का कार्य कर ही नहीं रहे हैं। ऐसे में न्यायालय में झूठे वाद दायर कर अपने स्थानांतरण पर स्टे ले आना चर्चाओ का विषय बना हुआ है।
जिला प्रशासन की चुप्पी पर उठते सवाल~~एक शिक्षक के न्यायालय में दिए झूठे वाद की चर्चा सभी दूर हो रही है,लेकिन 
 जिला प्रशासन अपने कान बंद कर आंखें मूंद चुप्पी साद रखी है। ऐसे  में समय  सवाल उठता है कि आखिरकार एक शिक्षक द्वारा इस तरह की विसंगति करने के बाद भी बिना डरे विभाग की विभिन्न गतिविधियों को सामान्य रूप से संचालित कर रहा है।ना प्रशासन और ना जिम्मेदार कोई कार्यवाही करने का साहस कर पा रहे हैं।

जिम्मेदार दे रहे हैं गोलमोल जवाब~~
इस मामले में जब मीडिया ने सहायक आयुक्त संजय परवाल से सवाल किया तो उनका कहना था कि स्टे मिलने के बाद तबादले की जानकारी ली गई तो कार्यालय की ओर से उसे सही बताया गया था। बाद में हमारी ओर से कोई जानकारी नहीं दी गई।
 क्या बोले जिम्मेदार~~  मैने कुछ समय पूर्व ही ज्वाईन किया है।कर्मचारियों से वस्तुस्थिति की जानकारी लेकर कुछ दिनों बाद ही कुछ बता  पाऊंगी।
 निधि मिश्रा,डिप्टी कलेक्टर एवं प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी आलीराजपुर।

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