शताब्दी वर्ष में संघ का संचलन निकला



उत्साह, उमंग के बीच शताब्दी वर्ष में आरएसएस के स्वयं सेवको ने कदमों के ताल से नापा शहर
 लगभग 2 हजार स्वयंसेवकों  से गरजा पथ संचलन
जगह जगह समाजों,संगठनो ने बरसाए पुष्प,लगाएंगे जयकारे


आलीराजपुर~~आखिर कार संघ के स्वयंसेवकों की पिछले एक माह से अनवरत घर-घर संपर्क करती टोली के लिए रविवार  का दिन महत्वपूर्ण हो गया। राष्ट्रीय स्वयं संघ के शताब्दी वर्ष में निकलने वाले पथ संचलन में स्वयं सेवकों के उमड़ते  कारवा में लगभग 2 हजार से  स्वयंसेवको ने अपने कदमों के ताल से नगर की  नापी सड़क।


 शताब्दी वर्ष में विजयादशमी उत्सव के अवसर पर पथसंचलन रविवार को नगर में निकाला गया। पथ संचलन का नगरवासियों ने पुष्प वर्षा कर अनेक स्थानों पर  स्वागत किया। पथ संचलन  फतेह क्लब मैदान से प्रारंभ होकर नगर के प्रमुख मार्गो से होते हुए  वापस फतेह मैदान पहुंचा।


 बौद्धिक कार्यक्रम में मंच पर मुख्य अतिथि जितेन्द्र  कोठारी (समाजसेवी), विशेष अतिथि  चंदरसिंह  चौहान (भगत जी),जिला संघचालक  नानसिंह धाकड़, खंड संघचालक भुवान भँवर व मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रान्त जनजाति कार्य प्रमुख  कैलाश अमलियार मंचासीन थे।


  मुख्य अतिथि  जितेंद्र कोठारी ने अपने उद्बोधन में कहा कि हम भाग्यशाली हैं कि हमने भारत में हिंदू धर्म में जन्म लिया और इससे भी ज्यादा भाग्य की बात यह है कि हम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक हैं। हमारे लिए यह गर्व का विषय है कि हम आज शताब्दी वर्ष के संचलन में हिस्सा ले रहे हैं। हमें कई बार जातियों में बांटने का षड्यंत्र रचा गया किंतु सिर्फ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ही एक ऐसा संगठन है, जो की समस्त हिंदू समाज को संगठित करने का कार्य करता आ रहा है। 
मुख्य वक्ता कैलाश  अमलियार ने सर्वप्रथम हल्दीघाटी के वीर योद्धा राणा पुंजा भील के जन्म दिवस पर उनका स्मरण कर साथ मे डॉ. हेडगेवार जी और श्री गुरुजी को  याद करते हुए अपना बौद्धिक प्रारंभ किया।  हमारा देश पिछले कई वर्षों से संघर्षरत रहा है। इस संघर्ष में हमारे देश के कई वीर सपूतों ने बाहर से आए आक्रांताओं से निपटने के लिए उनकी शक्ति को भापकर उन्हें परास्त करने का काम किया है|
डॉक्टर साहब ने जो बीज आज से 100 वर्ष पूर्व लगाया था वह आज दुनिया के 53 देश में एक वट वृक्ष की तरह खड़ा है|


देश में लोकतंत्र की स्थापना मे भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भूमिका रही|
एक समय ऐसा था जब हिंदुत्व के भाव मे कमी आई और हम पर विदेशी आक्रांताओं ने राज किया। जब 1921में डॉ हेडगेवारजी को जेल हुई तब उन्होंने चिंतन किया और पाया कि हमारे समाज में ही विकृत्ति आ गई हैं और उसे दूर करने और हिन्दू समाज को संगठित करने हेतु 1925 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की। तब लोगों ने उनका उपहास भी किया।लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी निरन्तर संघ कार्य करते हुए समाज जागरण का कार्य किया।नतीजा यह हुआ कि संघ की एक घंटे की शाखा से व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण का कार्य बढ़ता गया।
 वर्तमान कालखंड संघ में 50हजार प्रकल्प चलाए जा रहे है ।  
संघ की आगामी कार्य योजना पंच परिवर्तन-- 
संघ की आगामी कार्य योजना को विस्तार से बताते हुए अमलियार ने कहा कि देश को सम्पन्न बनाने के लिए हमे प्रथम स्व के भाव का जागरण करना,दूसरा नागरिक शिष्टाचार का पालन करना, तीसरा कुटुंब व्यवस्था को सम्भालकर रखना और परिवार में मंगल सभा करना। चौथा सामाजिक समरसता का पालन करना और पाँचवा पर्यावरण संरक्षण इन पाँच बिंदुओं पर कार्य कर हमें अपने राष्ट्र को सम्पन्न बनाना है। 


उत्साह का चरम और देशभक्ति का ज्वार~~एक प्रयास, एक लक्ष्य, एक परिश्रम के बीच निकलता विश्वास के पुट ने शताब्दी वर्ष में निकले  संचलन ने पिछले सालों में  निकाले गए पथ संचलन की तुलना में ना केवल  बृहद था,अपितु स्वयं सेवकों की उपस्थिति को परिभाषित करता हुआ अखंड भारत का स्वरूप  दिखा रहा था।
अमूमन पिछले एक माह से नगर के स्वयंसेवकों की टोली ने घर-घर जाकर संपर्क कर शताब्दी वर्ष में निकलने वाले पथ संचलन में सम्मिलित होने का न्योता दिया। स्वयं सेवको के परिश्रम के परिणाम की सार्थकता पथ संचलन में आए कारवां ने बयां कर दी। 

स्वागत के लिए तैयार टोली~
पुलिस की कड़ी निगरानी~~शताब्दी वर्ष में निकले इस पथ संचलन में पुलिस प्रशासन ने निर्धारित स्थान पर अधिकारियों जवानों की उपस्थिति की हुई थी। एसडीओपी अश्विन कुमार और कोतवाली थाना प्रभारी सोनू  सितोले के साथ अन्य पुलिस अधिकारी  यातायात व्यवस्था  के साथ अन्य व्यवस्थाओं को संभाले हुए थे।
कार्यक्रम में योगासन एकल गीत अमृत वचन व प्रार्थना हुई साथ ही कार्यक्रम में सुंदर रंगोली भी आकर्षण का केंद्र रही।
अंत मे आभार नगर कार्यवाह  श्रवण गुप्ता  ने माना|

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