मामला खण्डवा-बड़ोदा रोड का
बिना कार्ययोजना के तत्कालीन कलेक्टर ने रोड बंनाने के नाम 40 पेड़ो को काटने के दिये निर्देश
एमपीआरडीसी बोला रोड नही विद्युत पोल सिप्टिंग करना है
आलीराजपर---राकेश तंवर
बिना कार्य योजना के अतिक्रमण हटाकर रोड बनाने के नाम पर तत्कालीन कलेक्टर की हठधर्मिता के चलते खंडवा बड़ौदा मार्ग के लगभग 40 से ज्यादा,सालों पुराने पेड़ों को काटकर
पर्यावरण को नुकसान पहुचाया गया । हद तो तब हो गई जब कलेक्टर के रोड बनाने के दावों को संभावित निर्माण एजेंसी ने नकारते हुए केवल पोल शिफ्टिंग की कार्य योजना बनाए जाने का दावा किया। मिली जानकारी के अनुसार रोड बनाने के लिए मार्ग की निर्धारित चौड़ाई नहीं होने के चलते मामला ठंडा बस्ते में चला गया है।
जानकारी मिलते ही पर्यावरण प्रेमियों और मार्ग के दुकानदारों ने गहरी नाराजी व्यक्त करते हुए अपना आक्रोश व्यक्त किया है।
क्या है मामला--- खंडवा बड़ौदा मार्ग के दाहोद नाके से पंचेश्वर मंदिर तक दुकानदारों के अतिक्रमण से प्रभावित होते यातायात को सुलभ करने तत्कालीन कलेक्टर अरविंद बेडेकर ने सड़क निर्माण करने के नाम पर नगर पालिका को उक्त मार्ग के दोनों किनारो पर सालों पुराने लगभग 40 से अधिक पेड़ों को कटवा दिया। मार्ग के दोनों तरफ के दुकानदारों के साथ ही आम लोगों ने भी तत्कालीन कलेक्टर के इस तरह के निर्णय का विरोध किया था, लेकिन सड़क बनने और यातायात सुगम हो इसलिए लोगों ने अपने आक्रोश को नगर हित में दबा लिया, लेकिन लंबे समय बाद भी मार्ग बनने के लिए किसी तरह के प्रयासों के ना होने के चलते हिंदुस्तान मेल ने इस प्रस्तावित रोड के बारे में जानकारी एकत्रित की तो सड़क मार्ग की एजेंसी एमपीआरडीसी ने दो टूक शब्दों में बोला कि सड़क बनने के लिए पर्याप्त चौड़ाई नहीं होने के चलते नहीं बनाई जा रही है। इस मार्ग में लगे विद्युत पोलों की शिफ्टिंग करने के लिए कार्य योजना बनाई गई है। रोड के लिये 25 मीटर चौड़ाई होना आवश्यक होती है।जिसमे 7,7 मीटर के चौड़ाई वाले रोड,1 से 2 मीटर के डिवाइडर,सोल्डर 2,2 मीटर ले साथ पुटपाठ पैदल मार्ग के लिए 2 मीटर की आवश्यकता होती है ।इस तरह से लगभग 25 मीटर चौड़ी रोड होना जरूरी है।
इस तरह की जानकारी सामने आते ही पर्यावरण प्रेमी दीपक दीक्षित, आशुतोष पंचोली, कैलाश कमेडिया, कैलाश सिलाका,समद खान,सहित सहयोग संस्था के सदस्यों ने कहा है को शहर को हर भरा करने के लिये संस्था ने इस मार्ग पर नीम, बादाम, अशोक,और गुलमोहर सहित काफी पौधे लगाए थे, जो पेड़ बन गए थे। तत्कालीन कलेक्टर अरविंद बेडेकर की बिना सोचे समझे पेड़ कटवाने के निर्देश की आलोचना करते हुए पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने का जिम्मेदार ठहराया। इसी तरह की नाराजगी दुकानदारों ने भी व्यक्त करते हुए कहां है कि जब सड़क बनाने की कार्य योजना ही नहीं बन पाई, उसके पहले ही सालों पुराने बेशकीमती पेड़ों को कटवाने का क्या उचित इसके कौन जिम्मेदार है।
ये बोले जिम्मेदार--
उक्त मार्ग बनाने का कोई प्रस्ताव नही है।केवल पोल शिफ्टिंग किया जाना है।उसके लिये प्रयास किये जा रहे है।
नीतू माथुर,कलेक्टर आलीराजपुर
--सड़क बनाने के लिये लगभग 25 मीटर रोड होना चाहिए।यहाँ रोड बनना सम्भव नही है।रोड बनाने का प्रस्ताव भी नही है।
प्रदीप चौहान,एजीएम एमपीआरडीसी ।
शहर के पुराने, नए पेड़ो को बिना कार्ययोजना के काटना पर्यावरण को नुकसान पहुंचना है जब रोड बनना ही नहीं था तो बिना कार्य योजना बिना सोच विचार के कितने बड़ी संख्या में महत्वपूर्ण पेड़ों को क्यों काट दिया गया इसका जिम्मेदार कौन होगा।
दीपक दीक्षित,पर्यावरण प्रेमी ओर समाजसेवी ।

